


जीवन की यात्रा में हर कोई सफलता पाना चाहता है, लेकिन सफलता उन्हीं के हिस्से आती है जिनके पास स्पष्ट लक्ष्य होते हैं। बिना लक्ष्य के जीवन ऐसा है जैसे बिना नक्शे के सफर – दिशा तो मिलेगी, पर मंज़िल नहीं। इसलिए सबसे पहले यह ज़रूरी है कि हम यह तय करें कि हमें वास्तव में चाहिए क्या, और फिर उसी दिशा में पूरी निष्ठा और ऊर्जा के साथ बढ़ें।
लक्ष्य की स्पष्टता हमें आत्मविश्वास, अनुशासन और निर्णय लेने की क्षमता देती है। जब मन भ्रमित होता है तो प्रयास बिखर जाते हैं और व्यक्ति बार-बार असफलताओं से हताश हो जाता है। वहीं यदि लक्ष्य बिल्कुल साफ हो, तो हर कठिनाई एक चुनौती की तरह लगती है, न कि रुकावट। जैसे तीर कमान से निकलते ही अपने निशाने की ओर जाता है, वैसे ही स्पष्ट लक्ष्य वाला इंसान अपने सपनों की ओर अग्रसर होता है।
जीवन की सबसे बड़ी भूल यह होती है कि हम “दूसरों के लक्ष्य” जीने लगते हैं। समाज, परिवार या तुलना की भावना में हम वह रास्ता चुनते हैं, जो हमारा होता ही नहीं। ऐसे में संघर्ष बढ़ता है और संतुष्टि घटती है। सफलता का असली आनंद तभी मिलता है जब लक्ष्य हमारे भीतर से निकला हो, हमारी प्रतिभा और जुनून से मेल खाता हो।
इसलिए हर व्यक्ति को चाहिए कि वह स्वयं से ईमानदारी से सवाल करे – “मैं क्या चाहता हूँ? किस मंज़िल पर पहुँचने पर मुझे सच्चा आनंद मिलेगा?” यही प्रश्न लक्ष्य की स्पष्टता की नींव है। एक बार दिशा तय हो जाने के बाद, मेहनत और धैर्य के सहारे कोई भी बाधा बड़ी नहीं लगती।
अंततः याद रखिए – लक्ष्य की स्पष्टता ही सफलता का शॉर्टकट है। यदि लक्ष्य धुंधला होगा, तो मेहनत भी व्यर्थ जाएगी; लेकिन यदि लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है, तो राह कितनी भी कठिन क्यों न हो, मंज़िल अवश्य मिलेगी।